गुरुवार, 17 मार्च 2016

५.१० व्यर्थ कष्ट

अन्यथा वेदपाण्डित्यं शास्त्रमाचारमन्यथा।
अन्यथा वदता शान्तं लोकाः क्लिश्यन्ति चाऽन्यथा।।५.१०।।

वेद को , पाण्डित्य को , शास्त्र को , सदाचार को और शान्त मनुष्य को जो लोग बदनाम करना चाहते हैं , वे व्यर्थ कष्ट करते हैं।  

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