गुरुवार, 17 मार्च 2016

५.१९ सब कुछ सत्य में ही है

सत्येन धार्यते पृथ्वी सत्येन तपते रविः।
सत्येन वाति वायुश्च सर्व सत्ये प्रतिष्ठितम्।।५.१९।।

सत्य के आधार पर पृथ्वी रुकी है।  सत्य के सहारे सूर्य भगवान् संसार को गर्मी पहुँचाते हैं।  सत्य के ही बल पर वायु बहता है।  कहने का मतलब यह कि सब कुछ सत्य में ही है।

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