एकोदरसमुद्भूता एकनक्षत्रजातकाः।
न भवन्ति समाः शीला यथा बदरिकण्टकाः।।५.४।।
एक पेट से और एक ही नक्षत्र में उत्पन्न होने से किसी का शील एक सा नहीं हो जाता। उदाहरण - स्वरूप बेर के काँटों को देखो।
न भवन्ति समाः शीला यथा बदरिकण्टकाः।।५.४।।
एक पेट से और एक ही नक्षत्र में उत्पन्न होने से किसी का शील एक सा नहीं हो जाता। उदाहरण - स्वरूप बेर के काँटों को देखो।
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