रंङकं करोति राजानं राजानं रंङकमेव च।
धनिनं निर्धनं चैव निर्धनं धनिनं विधिः।।१०.५।।
विधाता कंङगाल को राजा , राजा को कंङगाल , धनी को निर्धन और निर्धन को धनी बनाता ही रहता है।
धनिनं निर्धनं चैव निर्धनं धनिनं विधिः।।१०.५।।
विधाता कंङगाल को राजा , राजा को कंङगाल , धनी को निर्धन और निर्धन को धनी बनाता ही रहता है।
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