सोमवार, 21 मार्च 2016

१०.१३ ब्राह्मण वृक्ष

 विप्रो वृक्षस्तस्य मुलं च सन्ध्या वेदाः शाखा धर्मकर्माणि पत्रम्।
तस्मात् मुलं यत्नतो रक्षणीयम् छिन्ने मूले नैव शाखा न पत्रम्।।१०.१३।।

ब्राह्मण वृक्ष के समान है , उसकी जड़ है सन्ध्या , वेद है शाखा और कर्म पत्ते हैं।  इसलिए मूल (सन्धा) की यत्न पूर्वक रक्षा करो।  क्योंकि जब जड़ ही कट जायेगी तो न शाखा रहेगी और न पत्र ही रहेगा।

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