कवयः किं न पश्यन्ति किं न कुर्वन्ति योषितः।
मद्यपा किं न जल्पन्ति किं न खादन्ति वायसाः।।१०.४।।
कवि क्या वस्तु नहीं देख पाते ? स्त्रियाँ क्या नहीं कर सकतीं , शराबी क्या नहीं बक जाते ? और कौवे क्या नहीं खा जाते ?
मद्यपा किं न जल्पन्ति किं न खादन्ति वायसाः।।१०.४।।
कवि क्या वस्तु नहीं देख पाते ? स्त्रियाँ क्या नहीं कर सकतीं , शराबी क्या नहीं बक जाते ? और कौवे क्या नहीं खा जाते ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें