सोमवार, 21 मार्च 2016

१०.४ कवि, स्त्रियाँ, शराबी और कौवे

कवयः किं न पश्यन्ति किं न कुर्वन्ति योषितः।
मद्यपा किं न जल्पन्ति किं न खादन्ति वायसाः।।१०.४।।

कवि क्या वस्तु नहीं देख पाते ? स्त्रियाँ क्या नहीं कर सकतीं , शराबी क्या नहीं बक जाते ? और कौवे क्या नहीं खा जाते ?

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