दृष्टिपूतं न्यसेत् पादं वस्त्रपूतं पिबेज्जलम्।
शास्त्रपूतं वदेद् वाक्यं मनः पूतं समाचरेत्।।१०.२।।
आँख से अच्छी तरह देख - भाल कर पैर धरें , कपड़े से छानकर जल पियें , शास्त्रसम्मत बात कहें और मन को हमेशा पवित्र रखें।
शास्त्रपूतं वदेद् वाक्यं मनः पूतं समाचरेत्।।१०.२।।
आँख से अच्छी तरह देख - भाल कर पैर धरें , कपड़े से छानकर जल पियें , शास्त्रसम्मत बात कहें और मन को हमेशा पवित्र रखें।
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