सोमवार, 21 मार्च 2016

१०.७ पृथ्वी के बोझ

येषां न विद्या न तपो न दानं न चाऽपि शीलं न गुणो न धर्मः।
ते मृत्युलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्तिं।।१०.७।।

जिस मनुष्य में न विद्या है , न  तप  है , न शील है और न गुण है ऐसे मनुष्य पृथ्वी के बोझ रूप होकर मनुष्य रूप में पशु सदृश जीवन यापन करते हैं।  

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