समाने शोभते प्रीतिः राज्ञि सेवा च शोभते।
वाणिज्यं व्यवहारेषु स्त्री दिव्या शोभते गृहे।।२.२०।।
ये सब चीज़े भली लगती है
वाणिज्यं व्यवहारेषु स्त्री दिव्या शोभते गृहे।।२.२०।।
ये सब चीज़े भली लगती है
- बराबर वालों के साथ मित्रता
- राजा की सेवा
- व्यवहार में बनियापन
- घर के अन्दर स्त्री।
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