मंगलवार, 15 मार्च 2016

३. ७ त्याग देना चाहिए

मूर्खस्तु परिहर्त्तव्यः प्रत्यक्षो द्विपदः पशुः।
भिद्यते वाक्यशूलेन अद्वश्यं कण्टकं यथा।।३. ७।।

मुर्ख को दो पैरों वाला पशु समझकर त्याग देना चाहिए। क्योंकि वह अपने कंठ से कांटो के समान चुभने वाले वाक्यों से भेदता है।

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