मंगलवार, 15 मार्च 2016

२.१० कुल में पूजित होते हैं

पुत्राश्च विविधैः शीलैर्नियोज्याः सततं बुधैः।
नीतिज्ञाः शीलसम्पन्ना भवन्ति कुलपूजिताः।।२.१०।।

समझदार मनुष्य का कर्तव्य है कि , वह अपने पुत्रों को विविध प्रकार के शील की शिक्षा दे।  क्योंकि नीति को जानने वाले और शीलवान् पुत्र अपने कुल में पूजित होते हैं।

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