माता शत्रुः पिता बैरी येन बालो न पाठितः।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये वको यथा।।२.११।।
जो माता अपने बेटे को पढ़ाती नहीं उसी तरह उसकी शत्रु है, जिस प्रकार पुत्र को न पढ़ाने वाला पिता पुत्र का बैरी है। क्योंकि (इस तरह माता - पिता की नासमझी से वह पुत्र ) सभा में उसी प्रकार शोभित नहीं होता जिस प्रकार हंसों के बीच में बगुला।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये वको यथा।।२.११।।
जो माता अपने बेटे को पढ़ाती नहीं उसी तरह उसकी शत्रु है, जिस प्रकार पुत्र को न पढ़ाने वाला पिता पुत्र का बैरी है। क्योंकि (इस तरह माता - पिता की नासमझी से वह पुत्र ) सभा में उसी प्रकार शोभित नहीं होता जिस प्रकार हंसों के बीच में बगुला।
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