मंगलवार, 15 मार्च 2016

३.२१ लक्ष्मी स्वयं विराजमान

मूर्खा यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम्।
दाम्पत्ये कलहो नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागता।।३.२१।।

जिस देश में मूर्खो की पूजा नहीं होती, जहाँ भरपूर अन्न का संचय रहता है, जहाँ स्त्री - पुरुष में कलह नहीं होता, वहाँ बस समझ लो कि लक्ष्मी स्वयं आकर विराजमान रहती हैं।

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