मंगलवार, 15 मार्च 2016

३.११ नहीं रह सकता

उद्योगे नास्ति दारिद्र्यं जपतो नास्ति पातकम्।
मौनेन कलहो नास्ति नास्ति जागरिते भयम्।।३.११।।

उद्योग करने पर दरिद्रता नहीं रह सकती।  ईश्वर का बार - बार स्मरण करते रहने पर पाप नहीं रह सकता।  चुप रहने पर लड़ाई - झगड़ा नहीं हो सकता।  जागते हुए मनुष्य के पास भय नहीं टिक सकता।

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