शुक्रवार, 25 मार्च 2016

१४.१९ चार बातें करने योग्य

त्यज दुर्जनसंसर्गं भज साधुसमागमम्।
कुरु पुण्यमहोरात्रं स्मर नित्यमनित्यतः।।१४.१९।।

 दुष्टों का साथ छोड़ दो , भले लोंगों के समागम में रहो , अपने दिन और रात को पवित्र करके बिताओ और इस अनित्य संसार में नित्य ईश्वर का स्मरण करते रहो।


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