शुक्रवार, 25 मार्च 2016

१४.१२ गुण और धर्म

स जीवति गुणा यस्य यस्य धर्मः स जीवति।
गुण  - धर्मविहीनस्य जीविं निष्प्रयोजनम्।।१४.१२।।

जो गुणी है , उसका जीवन सफल है या जो धर्मात्मा है , उसका जन्म सार्थक है।  इसके विपरीत गुण और धर्म से विहीन जीवन निष्प्रयोजन है।

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