शुक्रवार, 25 मार्च 2016

१४.२ गया हुआ यह शरीर

पुनर्वित्तं पुनर्मित्रं पुनर्भार्या पुनर्मही।
एतत्सर्व पुनर्लभ्यं न शरीरं पुनः पुनः।।१४.२।।

गया हुआ धन वापस मिल सकता है , रूठा हुआ मित्र भी राजी किया जा सकता है , हाथ से निकली हुई स्त्री भी वापस आ सकती है और छीनी हुई जमीन भी फिर मिल सकती है , पर गया हुआ यह शरीर वापस नहीं मिल सकता।

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