शुक्रवार, 25 मार्च 2016

१४.१० राजा , अग्नि , गुरु और स्त्रियाँ

अत्यासन्ना विनाशाय दूरस्था न फलप्रदाः।
सेव्यतां मध्यभागेन राजवह्निगुरुस्त्रियः।।१४.१०।।

राजा , अग्नि , गुरु और स्त्रियाँ इनके पास अधिक रहने पर विनाश निश्चित है और दूर रहा जाय तो कुछ मतलब नहीं निकलता।  इसलिए इन चारों की आराधना ऐसे करे कि न ज्यादा पास रहे न ज्यादा दूर।

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