शुक्रवार, 25 मार्च 2016

१३.१७ गुरु के पास विद्यमान् विद्या

यत् खनित्वा खनित्रेण भूतले वारि विन्दति।
तथा गुरुगतां विद्यां शुश्रूषुरधिगच्छति।।१३.१७।।

जैसे फावड़े से खोदने पर पृथ्वी से जल निकल आता है।  उसी तरह किसी गुरु के पास विद्यमान् विद्या उसकी सेवा करने से प्राप्त हो जाती है।

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