सुसिद्धमौषधं धर्म गृहच्छिद्रं च मैथुनम्।
कुभुक्तं कुश्रुतं चैव मतिमान्न प्रकाशयेत्।।१४.१६।।
बुद्धिमान् को चाहिए कि , इन बातों को किसी से न जाहिर करें - अच्छी तरह तैयार की हुई औषधि , धर्म , अपने घर का दोष , मैथुन , दूषित भोजन और निंद्य किंवदन्ती वचन।
कुभुक्तं कुश्रुतं चैव मतिमान्न प्रकाशयेत्।।१४.१६।।
बुद्धिमान् को चाहिए कि , इन बातों को किसी से न जाहिर करें - अच्छी तरह तैयार की हुई औषधि , धर्म , अपने घर का दोष , मैथुन , दूषित भोजन और निंद्य किंवदन्ती वचन।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें