जीवन्तं मृतवन्मन्ये देहिनं धर्मवर्जितम्।
मृतो धर्मेण संयुक्त्तो दीर्घजीवी न संशयः।।१३.९।।
धर्मविहीन मनुष्य को मैं जीते मुर्दे की तरह मानता हूँ। जो धर्मात्मा था , पर मर गया तो वह वास्तव में दीर्घजीवी था।
मृतो धर्मेण संयुक्त्तो दीर्घजीवी न संशयः।।१३.९।।
धर्मविहीन मनुष्य को मैं जीते मुर्दे की तरह मानता हूँ। जो धर्मात्मा था , पर मर गया तो वह वास्तव में दीर्घजीवी था।
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