तावन्मौनेन नियन्ते कोकिलैश्चैव वासराः।
यावत्सर्वजनानन्द - दायिनी वाक् प्रवर्तते।।१४.१७।।
कोयल तब तक चुपचाप दिन बिता देती है जबतक कि वह सब लोगों के मन को आनन्दित करने वाली वाणी नहीं बोलती है।
यावत्सर्वजनानन्द - दायिनी वाक् प्रवर्तते।।१४.१७।।
कोयल तब तक चुपचाप दिन बिता देती है जबतक कि वह सब लोगों के मन को आनन्दित करने वाली वाणी नहीं बोलती है।
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