शुक्रवार, 25 मार्च 2016

१४.१५ तीन जीव तीन दृष्टि

एक एव पदार्थस्तु त्रिधा भवति वीक्षितः।
कुणपं कामिनी मांसं योगिभिः कामिभिः श्वभिः।।१४.१५।।

एक स्त्री के शरीर को तीन जीव तीन दृष्टि से देखते हैं - योगी उसे बदबूदार मुर्दे के रूप में देखते हैं , कामी उसे कामिनी समझता है और कुत्ते उसे मांसपिण्ड जानता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें