एक एव पदार्थस्तु त्रिधा भवति वीक्षितः।
कुणपं कामिनी मांसं योगिभिः कामिभिः श्वभिः।।१४.१५।।
एक स्त्री के शरीर को तीन जीव तीन दृष्टि से देखते हैं - योगी उसे बदबूदार मुर्दे के रूप में देखते हैं , कामी उसे कामिनी समझता है और कुत्ते उसे मांसपिण्ड जानता है।
कुणपं कामिनी मांसं योगिभिः कामिभिः श्वभिः।।१४.१५।।
एक स्त्री के शरीर को तीन जीव तीन दृष्टि से देखते हैं - योगी उसे बदबूदार मुर्दे के रूप में देखते हैं , कामी उसे कामिनी समझता है और कुत्ते उसे मांसपिण्ड जानता है।
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