शुक्रवार, 25 मार्च 2016

१४.६ पछतावे के समय

उत्पन्नपश्चात्तापस्य बुद्धिर्भवति यादृशी।
तादृशी यदि पूर्वं स्यात् कस्य स्यान्न महोदयः।।१४.६।।

कोई बुरा काम करने पर पछतावे के समय मनुष्य की जैसी बुद्धि रहती है , वैसी यदि पहले ही से रहे तो कौन मनुष्य उन्नत न हो जाय।

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