धर्माख्याने श्मशाने च रोगिणां या मतिर्भवेत्।
सा सर्वदैव तिष्ठेच्चेत् को न मुच्येत बन्धनात्।।१४.५।।
कोई धार्मिक आख्यान सुनने पर , श्मशान में और रुग्णावस्था में मनुष्य की जैसी बुद्धि रहती है , वैसी यदि हमेशा रहे तो कौन मनुष्य मोक्षपद न प्राप्त कर ले ?
सा सर्वदैव तिष्ठेच्चेत् को न मुच्येत बन्धनात्।।१४.५।।
कोई धार्मिक आख्यान सुनने पर , श्मशान में और रुग्णावस्था में मनुष्य की जैसी बुद्धि रहती है , वैसी यदि हमेशा रहे तो कौन मनुष्य मोक्षपद न प्राप्त कर ले ?
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