शुक्रवार, 25 मार्च 2016

१४.३ सङ्गठित बल

बहूनां चैव सत्त्वानां समवायो रिपुञ्जयः।
वर्षन् धाराधरो मघस्तृणैरपि निवार्यते।।१४.३।।

बहुत प्राणियों का सङ्गठित बल शत्रु को परास्त कर देता है , प्रचण्ड वेग के साथ बरसते हुए मेघ को सङ्गठन के बल से क्षुद्र तिनके हरा देते हैं।

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