शुक्रवार, 25 मार्च 2016

१३.६ स्नेह

यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम्।
स्नेहमूलानी दुःखानि तानि त्यक्त्वा वसेत्सुखम्।।१३.६।।

जिसके हृदय में स्नेह (प्रीति ) है , उसको भय है।  जिसके पास स्नेह है , उसको दुःख है।  जिसके हृदय में स्नेह है, उसी के पास तरह - तरह के दुःख रहते हैं।  जो इसे त्याग देता है वह सुख से रहता है।

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