शुक्रवार, 25 मार्च 2016

१४.१४ पण्डित

 प्रस्तावसदृशं वाक्यं प्रभावसदृशं प्रियम्।
आत्मशक्तिसमं कोपं यो जानाति स पण्डितः।।१४.१४।।

जो मनुष्य प्रसंगानुसार बात , प्रकृति के अनुकूल प्रेम और अपनी शक्त्ति के अनुसार क्रोध करना जानता है , वही पण्डित है।

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