शुक्रवार, 25 मार्च 2016

१३.१५ कर्म (भाग्य)

यथा धेनुसहस्त्रेषु वत्सो गच्छति मातरम्।
तथा यच्च कृतं कर्म कर्तारमनुगच्छति।।१३.१५।।

जैसे हज़ारों गौओं में बछड़ा अपनी ही माँ के पास जाता है।  उसी तरह प्रत्येक मनुष्य का कर्म (भाग्य) अपने स्वामी के ही पास जा पहुँचता है।

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