युगान्ते प्रचलेन्मेरू: कल्पान्ते सप्त सागराः।
साधवः प्रतिपन्नार्थान्न चलन्ति कदाचन।।१३. २०।।
युग का अन्त हो जाने पर सुमेरु पर्वत डिग जाता है। कल्प का अन्त होने पर सातों सागर भी चंचल हो उठते हैं, पर सज्जन लोग स्वीकार किये हुये मार्ग से विचलित नहीं होते।
साधवः प्रतिपन्नार्थान्न चलन्ति कदाचन।।१३. २०।।
युग का अन्त हो जाने पर सुमेरु पर्वत डिग जाता है। कल्प का अन्त होने पर सातों सागर भी चंचल हो उठते हैं, पर सज्जन लोग स्वीकार किये हुये मार्ग से विचलित नहीं होते।
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