धर्मं धनं च धन्यं च गुरोर्वचनमौषधम्।
सुगृहीतं च कर्त्तव्यमन्यथा तु न जीवति।।१४.१८।।
धर्म , धन , अन्न , गुरु का वचन और औषधि इन वस्तुओं को सावधानी के साथ अपनावे और उनके अनुसार चले। जो ऐसा नहीं करता , वह जीता नहीं है।
सुगृहीतं च कर्त्तव्यमन्यथा तु न जीवति।।१४.१८।।
धर्म , धन , अन्न , गुरु का वचन और औषधि इन वस्तुओं को सावधानी के साथ अपनावे और उनके अनुसार चले। जो ऐसा नहीं करता , वह जीता नहीं है।
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