शुक्रवार, 25 मार्च 2016

१३.१२ मन

बन्धाय विषयासङ्गं मुक्त्यै निर्विषयं मनः।
मन एव मनुष्याणां करणं बन्ध - मोक्षयोः।।१३.१२।।

विषयों में मन को लगाना ही बन्धन है और विषयों से मन को हटाना ही मुक्त्ति है। भाव यह कि , मन ही मनुष्यों के बन्धन और मोक्ष का हेतु है।

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