शनिवार, 26 मार्च 2016

१५.१ दया

 यस्य चित्तं द्रवीभूतं कृपया सर्वजन्तुषु।
तस्य ज्ञानेन मोक्षेण किं जटाभस्मलेपनै:।।१५.१।।

जिसका चित्त दया के कारण द्रवीभूत हो जाता है तो उसे फिर ज्ञान , मोक्ष , जटाधारण तथा भस्मलेपन की क्या आवश्यकता है ?

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