यस्य चित्तं द्रवीभूतं कृपया सर्वजन्तुषु।
तस्य ज्ञानेन मोक्षेण किं जटाभस्मलेपनै:।।१५.१।।
जिसका चित्त दया के कारण द्रवीभूत हो जाता है तो उसे फिर ज्ञान , मोक्ष , जटाधारण तथा भस्मलेपन की क्या आवश्यकता है ?
तस्य ज्ञानेन मोक्षेण किं जटाभस्मलेपनै:।।१५.१।।
जिसका चित्त दया के कारण द्रवीभूत हो जाता है तो उसे फिर ज्ञान , मोक्ष , जटाधारण तथा भस्मलेपन की क्या आवश्यकता है ?
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