अलिरयं नलिनीदलमध्यगः कमलिनीमकरन्दमदालसः।
विधिवशात्परदेशमुपागतः कुटजपुष्परसं बहु मन्यते।।१५.१५।।
यह एक भौंरा है , जो पहले कमलदल के ही बीच में कमलींनी का बास लेता रहता था , संयोगवश वह अब परदेश में जा पहुँचा है , वहाँ वह कौरैया के पुष्परस को ही बहुत समझता है।
विधिवशात्परदेशमुपागतः कुटजपुष्परसं बहु मन्यते।।१५.१५।।
यह एक भौंरा है , जो पहले कमलदल के ही बीच में कमलींनी का बास लेता रहता था , संयोगवश वह अब परदेश में जा पहुँचा है , वहाँ वह कौरैया के पुष्परस को ही बहुत समझता है।
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