शनिवार, 26 मार्च 2016

१५.९ मूल्य

मणिर्लुण्ठति पादाग्रे काचः शिरसि धार्यते।
क्रयविक्रयवेलायां काचः काचो मणिर्मणिः।।१५.९ ।।

वैसे मणि पैरों तले लुढ़के और काँच माथे पर रखा जाय तो इसमें उन दोनों के विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता।  पर जब वे दोनों बाजार में बिकने आयेंगे और उनका क्रय - विक्रय होने लगेगा तब काँच काँच ही रहेगा और मणि मणि ही।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें