धन्या द्विजमयी नौका विपरीता भवार्णवे।
तरन्त्यधोगताः सर्वे उपरिस्थाः पतन्त्यधः।।१५.१३।।
यह द्विजमयी नौका धन्य है कि , जो इस संसाररूपी सागर में उलटे तौर पर चलती है , जो इससे नीचे (नम्र ) रहते हैं , वे तर जाते हैं और जो ऊपर (उद्धत ) रहते हैं। वे नीचे चले जाते हैं।
तरन्त्यधोगताः सर्वे उपरिस्थाः पतन्त्यधः।।१५.१३।।
यह द्विजमयी नौका धन्य है कि , जो इस संसाररूपी सागर में उलटे तौर पर चलती है , जो इससे नीचे (नम्र ) रहते हैं , वे तर जाते हैं और जो ऊपर (उद्धत ) रहते हैं। वे नीचे चले जाते हैं।
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