रविवार, 20 मार्च 2016

९.२ आपस के भेद की बात

परस्परस्य मर्माणि ये भाषन्ते नराधमाः।
त एव विलयं यान्ति वल्मीकोदरसर्पवत्।।९.२।।

जो लोग आपस के भेद की बात बतला देते हैं वे नराधम उसी तरह नष्ट हो जाते हैं , जैसे बाँबी के भीतर घुसा साँप।

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