किं कुलेन विशालेन विद्याहीनेन देहिनाम्।
दुष्कुलं चापि विदुषो देवैरपि हि पूज्यते।।८.१९।।
यदि मूर्ख का कुल बड़ा भी हो तो उससे क्या लाभ ? चाहे नीच ही कुल का क्यों न हो , पर यदि वह विद्वान् हो तो देवताओं द्वारा भी पूजा जाता है।
दुष्कुलं चापि विदुषो देवैरपि हि पूज्यते।।८.१९।।
यदि मूर्ख का कुल बड़ा भी हो तो उससे क्या लाभ ? चाहे नीच ही कुल का क्यों न हो , पर यदि वह विद्वान् हो तो देवताओं द्वारा भी पूजा जाता है।
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