रविवार, 20 मार्च 2016

८.९ पुरुषों के लिए अभाग्य की बात

वृद्धकाले मृता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनम्।
भोजनं च पराधीनं त्रयः पुंसां विडम्बनाः।।८.९।।

बुढ़ौती में स्त्री का मरना , निजी धन का बन्धुओं के हाथ में चला जाना और पराधीन जीविका रहना ये पुरुषों के लिए अभाग्य की बात है।

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