रविवार, 20 मार्च 2016

८.७ भोजन और पीया हुआ पानी

अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।
भोजने चाऽमृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्।।८.७।।

जब तक कि भोजन पच न जाय , इस बीच में पीया हुआ पानी विष है , और वही पानी भोजन पच जाने के बाद पीने से अमृत के समान हो जाता है।  भोजन करते समय जल अमृत के समान हो जाता है।  भोजन करते समय जल अमृत और उसके पश्चात् विष का काम करता है।  

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