रविवार, 20 मार्च 2016

९.१२ श्री नष्ट

स्वहस्तग्रंथिता माला स्वहस्तात् धृष्टचन्दनम्।
स्वहस्तलिखितं स्तोत्रं शक्रस्यापि श्रियं हरेत्।।९.१२।।

अपने हाथ गूँथकर पहनी माला , अपने हाथ से घिस कर लगाया चन्दन और अपने हाथ से लिखा हुआ स्तोत्र - पाठ  इन्द्र की भी श्री को नष्ट कर देता है।

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