स्वहस्तग्रंथिता माला स्वहस्तात् धृष्टचन्दनम्।
स्वहस्तलिखितं स्तोत्रं शक्रस्यापि श्रियं हरेत्।।९.१२।।
अपने हाथ गूँथकर पहनी माला , अपने हाथ से घिस कर लगाया चन्दन और अपने हाथ से लिखा हुआ स्तोत्र - पाठ इन्द्र की भी श्री को नष्ट कर देता है।
स्वहस्तलिखितं स्तोत्रं शक्रस्यापि श्रियं हरेत्।।९.१२।।
अपने हाथ गूँथकर पहनी माला , अपने हाथ से घिस कर लगाया चन्दन और अपने हाथ से लिखा हुआ स्तोत्र - पाठ इन्द्र की भी श्री को नष्ट कर देता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें