अन्नहीनो देहद्राष्ट्रं मन्त्रहीनश्र्च ऋत्विजः।
यजमानं दानहीनो नास्ति यज्ञसमो रिपुः।।८.२३।।
अन्नरहित यज्ञ देश का , मन्त्रहीन यज्ञ ऋषियों का और दान विहीन यज्ञ यजमान का नाश कर देता है। यज्ञ के समान कोई शत्रु नहीं है।
यजमानं दानहीनो नास्ति यज्ञसमो रिपुः।।८.२३।।
अन्नरहित यज्ञ देश का , मन्त्रहीन यज्ञ ऋषियों का और दान विहीन यज्ञ यजमान का नाश कर देता है। यज्ञ के समान कोई शत्रु नहीं है।
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