अर्थाधीताश्च यैर्वेदास्तथा शुद्रान्नभोजिनः।
ते द्विजाः किं करिष्यन्ति निर्विषा इव पन्नगाः।।९.८।।
जिन्होंने धन के लिए विद्या पढ़ी है और शूद्र का अन्न खाते हैं , ऐसे विषहीन साँप के समान ब्राह्मण क्या
कर सकेंगे।
ते द्विजाः किं करिष्यन्ति निर्विषा इव पन्नगाः।।९.८।।
जिन्होंने धन के लिए विद्या पढ़ी है और शूद्र का अन्न खाते हैं , ऐसे विषहीन साँप के समान ब्राह्मण क्या
कर सकेंगे।
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