रविवार, 20 मार्च 2016

८.५ यवन से बढ़कर नीच

चाण्डालालां सहस्त्रैश्च सुरिभिस्तत्त्वदर्शिभिः।
एको हि यवनः प्रोक्त्तो न नीचो यवनात्परः।।८.५।।

तत्वदर्शी विद्वानों की राय है कि , सहस्त्रों चाण्डालों के इतना नीच एक यवन होता है।  यवन से बढ़कर नीच कोई नहीं होता है।

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