रविवार, 20 मार्च 2016

९.३ विधाता ने बनाया ही नहीं

गन्धः सुवर्णे फलमिक्षुदण्डे नाऽकारि पुष्पं खलु चन्दनस्य।
विद्वान् धनी भूपतिदीर्घजीवी धातुः पुरा कोऽपि न बुद्धिदोऽभूत्।।९.३।।

सोने में सुगंध , ऊँख में फल , चन्दन में फूल , धनी को विद्वान् और दीर्घजीवी राजा को विधाता ने बनाया ही नहीं।  क्या किसी ने उन्हें सलाह भी नहीं दी ?

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