प्रातर्द्युतप्रसङ्गेन मध्याह्ने स्त्रीप्रसङ्गतः।
रात्रौ चौरप्रसङ्गेन कालो गच्छति धीमताम्।।९.११।।
समझदार लोगों का समय सबेरे जुए के प्रसंग (कथा ) में , दोपहर को स्त्री प्रसंग (कथा) में और रात को चोर की चर्चा में जाता है। यह तो हुआ शब्दार्थ , पर भावार्थ इसका यह है कि , जो समझदार होते हैं , वे सबेरे वह कथा कहते - सुनते हैं कि जिसमें जुए की कथा आती है यानी महाभारत। दोपहर को स्त्री प्रसंग यानी स्त्री से सम्बन्ध करने वाली कथा अर्थात् रामायण की , जिसमें आदि से अंत तक सीता की तपस्या झलकती है। रात को चोर के प्रसंग अर्थात् श्रीकृष्णचन्द्र की कथा यानी श्रीमद्भागवत कहते - सुनते हैं।
रात्रौ चौरप्रसङ्गेन कालो गच्छति धीमताम्।।९.११।।
समझदार लोगों का समय सबेरे जुए के प्रसंग (कथा ) में , दोपहर को स्त्री प्रसंग (कथा) में और रात को चोर की चर्चा में जाता है। यह तो हुआ शब्दार्थ , पर भावार्थ इसका यह है कि , जो समझदार होते हैं , वे सबेरे वह कथा कहते - सुनते हैं कि जिसमें जुए की कथा आती है यानी महाभारत। दोपहर को स्त्री प्रसंग यानी स्त्री से सम्बन्ध करने वाली कथा अर्थात् रामायण की , जिसमें आदि से अंत तक सीता की तपस्या झलकती है। रात को चोर के प्रसंग अर्थात् श्रीकृष्णचन्द्र की कथा यानी श्रीमद्भागवत कहते - सुनते हैं।
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