रविवार, 20 मार्च 2016

८.११ भाव ही सबका कारण है

न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये।
भावे हि विद्यते देवस्तस्माभ्दावो हि कारणम्।।८.११।।

देवता न काठ में , न पत्थर में  और न मिट्टी ही में रहते हैं , वे तो रहते हैं भाव में , इससे यह निष्कर्ष निकला कि भाव ही सबका कारण है।

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