न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये।
भावे हि विद्यते देवस्तस्माभ्दावो हि कारणम्।।८.११।।
देवता न काठ में , न पत्थर में और न मिट्टी ही में रहते हैं , वे तो रहते हैं भाव में , इससे यह निष्कर्ष निकला कि भाव ही सबका कारण है।
भावे हि विद्यते देवस्तस्माभ्दावो हि कारणम्।।८.११।।
देवता न काठ में , न पत्थर में और न मिट्टी ही में रहते हैं , वे तो रहते हैं भाव में , इससे यह निष्कर्ष निकला कि भाव ही सबका कारण है।
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