सोमवार, 14 मार्च 2016

२.४ कुछ परिभाषाएँ

ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः स पिता यस्तु पोषकः।
तन्मित्रं यत्र विश्वासः सा भार्या यत्र निर्वृतिः।।२.४।।

कुछ परिभाषाएँ
  1. वे ही पुत्र हैं जो पिता के भक्त हैं। 
  2. वही पिता है , जो अपनी सन्तान का उचित रीति से पालन - पोषण करता है। 
  3. वही मित्र है जिस पर अपना विश्वास है। 
  4. वही स्त्री है जिससे हृदय आनन्दित होता है।

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