ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः स पिता यस्तु पोषकः।
तन्मित्रं यत्र विश्वासः सा भार्या यत्र निर्वृतिः।।२.४।।
कुछ परिभाषाएँ
तन्मित्रं यत्र विश्वासः सा भार्या यत्र निर्वृतिः।।२.४।।
कुछ परिभाषाएँ
- वे ही पुत्र हैं जो पिता के भक्त हैं।
- वही पिता है , जो अपनी सन्तान का उचित रीति से पालन - पोषण करता है।
- वही मित्र है जिस पर अपना विश्वास है।
- वही स्त्री है जिससे हृदय आनन्दित होता है।
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