सोमवार, 14 मार्च 2016

१.५ मृत्यु

दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः।
स-सर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः।।५।।

ये परिस्थितियाँ मृत्यु के समान हैं
  1. दुष्ट स्त्री 
  2. धूर्त तथा नीच स्वभाव वाला मित्र 
  3. मुँह पर जबाब देने वाला नौकर 
  4. ऐसा घर जहाँ सर्प के होने का अन्देशा हो।

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