दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः।
स-सर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः।।५।।
ये परिस्थितियाँ मृत्यु के समान हैं
स-सर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः।।५।।
ये परिस्थितियाँ मृत्यु के समान हैं
- दुष्ट स्त्री
- धूर्त तथा नीच स्वभाव वाला मित्र
- मुँह पर जबाब देने वाला नौकर
- ऐसा घर जहाँ सर्प के होने का अन्देशा हो।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें