सोमवार, 14 मार्च 2016

१.३ चाणक्यनीति

तदहं संप्रवक्ष्यामि लोकानां हितकाम्यया।
येन विज्ञानमात्रेण सर्वज्ञत्वं प्रपघते ।।३।।
 

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